आईआईटी मद्रास ने ओवरऑल रैंकिंग में पहला स्थान हासिल किया.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry) ने आज NIRF रैंकिंग्स (NIRF Ranking 2023) की घोषणा की. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मद्रास (IIT Madras) को देश भर के संस्थानों की ओवरऑल रैंकिंग में एक बार फिर से पहला स्थान मिला है. पिछले साल यानी 2022 की रैंकिंग में भी आईआईटी मद्रास को पहला स्थान मिला था. दूसरे स्थान पर एक बार फिर आईआईएससी बेंगलुरु (IISc Bengaluru) है. तीसरे स्थान पर आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi), चौथे स्थान पर आईआईटी बॉम्बे (IIT Bombay), पांचवें स्थान पर आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) है.
ओवरऑल इंस्टीट्यूट्स की टॉप-10 लिस्ट में सात आईआईटी शामिल हैं. दो यूनिवर्सिटी आईआईएससी बेंगलुरू, जेएनयू दिल्ली और एक मेडिकल कॉलेज एम्स दिल्ली (AIIMS Delhi) ने अपनी जगह टॉप-10 में बनाई है.
ओवरऑल रैंकिंग में टॉप-10 इंस्टीट्यूट्स की लिस्ट ये रही-
ओवरऑल रैंकिंग में टॉप-10 इंस्टीट्यूट्स की लिस्ट ये रही-
आईआईटी मद्रास – 1
आईआईएससी बेंगलुरू – 2
आईआईटी दिल्ली – 3
आईआईटी बॉम्बे – 4
आईआईटी कानपुर – 5
एम्स, दिल्ली – 6
आईआईटी खड़गपुर – 7
आईआईटी रुड़की – 8
आईआईटी गुवाहाटी – 9
जेएनयू – 10
टॉप-5 यूनिवर्सिटीज इस प्रकार हैं-
नाम | रैंक |
आईएससी, बेंगलुरु | 1 |
जेएनयू, दिल्ली | 2 |
जामिया मिलिया इस्लामिया | 3 |
जादवपुर यूनिवर्सिटी | 4 |
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी | 5 |
टॉप-5 इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट इस प्रकार हैं-
नाम | रैंक |
आईआईटी मद्रास | 1 |
आईआईटी दिल्ली | 2 |
आईआईटी बॉम्बे | 3 |
आईआईटी कानपुर | 4 |
आईआईटी रुड़की | 5 |
टॉप-5 मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट इस प्रकार हैं-
नाम | रैंक |
आईआईएम अहमदाबाद | 1 |
आईआईएम बेंगलुरु | 2 |
आईआईएम कोझिकोड़ | 3 |
आईआईएम कोलकाता | 4 |
आईआईटी दिल्ली | 5 |
टॉप-5 कॉलेज इस प्रकार हैं-
नाम | रैंक |
मिरांडा हाउस, दिल्ली | 1 |
हिंदू कॉलेज, दिल्ली | 2 |
प्रेसिडेंसी कॉलेज, चेन्नई | 3 |
पीएसजीआर कॉलेज फॉर विमेन, कोयंबटूर | 4 |
सेंट जेवियर्स कॉलेज, कोलकाता | 5 |
NIRF क्या है?
NIRF का फुलफॉर्म होता है नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रैंकिंग फ्रेमवर्क. इसके अंतर्गत भारत सरकार देश भर के हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स की परफॉरमेंस के आधार पर उनकी रैंक तय करती है. यानी हमें ये बताती है कि पढ़ाई के लिए देश के टॉप इंस्टीट्यूट्स कौन-कौन से हैं. इंजीनियरिंग के लिए कौन सी IIT है सबसे बढ़िया और किस मेडिकल कॉलेज से तैयार होते हैं सबसे बढ़िया डॉक्टर.
साल 2016 में इसकी शुरुआत हुई थी. 2016 से पहले देश में प्राइवेट एजेंसीज या मीडिया द्वारा ही हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स की रैंक तय की जाती थी. अब जब बात यहां तक आई है तो ये भी बता देते हैं कि इसके शुरू होने के पीछे की कहानी क्या है?
इसकी शुरुआत होती है ग्लोबल रैंकिंग्स से. अब तक हम खबरों में यही पढ़ते आए थे कि भारत का कोई भी इंस्टीट्यूट, दुनिया के टॉप-200 या टॉप-300 में नहीं है. फिर वो बात चाहे QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी की रैंकिंग हो या टाइम्स हायर एजुकेशन की.
इसके पीछे जो सबसे बड़ी वजह बताई जाती है वो ये कि इन एजेंसीज द्वारा रैंकिंग तैयार करने में जो क्राइटेरिया अपनाई जाती है वो चुनिंदा लोगों के परसेप्सन पर आधारित होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए साल 2015 में भारत सरकार ने तय किया कि वो अपने संस्थानों की रैंकिंग खुद तय करेगा और ये रैंकिंग भारतीय संस्थानों के लिए उपयुक्त पैरामीटर्स पर तय की जाएगी.
ठीक इसी तरह से 2003 में चीन ने भी शंघाई रैंकिग्स शुरू की थी. हालांकि NIRF और शंघाई रैंकिंग्स में अंतर ये है कि शंघाई रैंकिंग में दुनिया भर के 500 संस्थान शामिल होते हैं जबकि NIRF में केवल भारतीय संस्थान शामिल होते हैं.
कैसे तय होती है रैंकिंग?
रैंकिंग तय करने के लिए NIRF ने सीधे और सपाट नियम बना रखे हैं. कुछ पैरामीटर्स हैं हर इंस्टीट्यूट को उन पैरामीटर्स पर परखा जाता है. जिसका जितना स्कोर बनता है उसी हिसाब से उसकी रैंकिंग तय की जाती है. इन पैरामीटर्स में सबसे पहले आता है टीचिंग, लर्निंग एंड रिसोर्सेज यानी TLR .इसमें फैकल्टी-स्टूडेंट रेशियो, फैकल्टी एक्सपीरियंस, फाइनेंसियल रिसोर्सेज और उनका उपयोग जैसी चीजें शामिल हैं.
दूसरा है रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस. इसके अंतर्गत संस्थान को रिसर्च, पब्लिकेशन मीट्रिक, IPR और पेटेंट्स के आधार पर परखा जाता है.
तीसरा पैरामीटर है ग्रेजुएशन आउटकम्स. इसमें यूनिवर्सिटी के एग्जाम्स और PhD स्कॉलर्स की संख्या को देखा जाता है.
चौथा पैरामीटर है आउटरीच एंड इन्क्लूसिविटी. इसमें देखा जाता है कि कितने छात्र दूसरे राज्यों से विदेश से पढ़ने के लिए आए हैं. कैंपस में महिलाओं की कितनी भागीदारी है? आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े छात्रों की क्या संख्या है? शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों के लिए क्या व्यवस्था है?
पांचवा और आखिरी पैरामीटर है पीयर परसेप्सन. इसमें एकेडमिक पीयर और एम्प्लायर्स के आधार पर इंस्टीट्यूट की रैंक तय की जाती है.